aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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Raamnarainlal Arunkumar Katra Road Allahbad
Publisher
Matba Mujadidi Amritsar, Katra
थिएटरिकल कंपनी दो महीने तक रही और अपनी बिसात के मुताबिक़ ख़ासा कमा ले गई। इस शह्र के एक सिनेमा मालिक ने सोचा क्यों न इस बस्ती में भी एक सिनेमा खोल दिया जाए। ये ख़याल आने की देर थी कि उसने झट एक मौक़े की जगह चुन कर ख़रीद...
राहत ने फिर किसी बहाने से मुझे पुकारा। “उँह!” मैं जल गई। पर बी आपा ने कटी हुई मुर्ग़ी की तरह जो पलट कर देखा तो मुझे जाना ही पड़ा। “आप हम से ख़फ़ा हो गईं?” राहत ने पानी का कटोरा लेकर मेरी कलाई पकड़ ली। मेरा दम निकल गया...
दहशत से सूरतें उनकी चपटी होने लगीं। और ख़द-ओ-ख़ाल मस्ख़ होते चले गए। और अलियासफ़ ने घूम कर देखा और बंदरों के सिवा किसी को न पाया। जानना चाहिए कि वो बस्ती एक बस्ती थी। समुंदर के किनारे। ऊंचे बुर्जों और बड़े दरवाज़ों वाली हवेलियों की बस्ती, बाज़ारों में खोई...
aa.nkhe.n hai.n kaToraa sii vo sitam gardan hai suraahii-daar Gazabaur usii me.n sharaab-e-surKHi-e-paa.n rakhtii hai jhalak phir vaisii hii
“सोने दोगी या मैं चौपाल पर जा कर पड़ रहूँ?” फिर जब सब ख़ामोश हो गए तो माई ताजो उठ बैठी। उसे लगा कि राहताँ अपने बिस्तर पर पड़ी आँसू बहा रही है। वो दीवार तक गई भी मगर फिर फ़त्हदीन के डर से पलट आई। घड़े में से पानी...
कटोराکٹورا
bowls
चंद लम्हे वो यूँ चक्की चलाने में मस्रूफ़ रही जैसे मुझे भूल गई है। फिर चक्की रोक कर उठ खड़ी हुई और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ी। मैं एक तरफ़ हटा तो वो बाहर आ गई और बोली, “प्यास लगी है... पर बीबी जी का कटोरा झूटा हो जाएगा, मुझे बक...
इस जुमले ने सज्जाद की ख़ुशियों को चीनी से ढांक दिया। अम्मी ने सरताज के मुताल्लिक़ बहुत मीन मेख़ निकाली लेकिन फ़वाद फ़ौजी आदमी था। अम्मी के हर हमले के लिए उसने बस एक ही ख़ंदक़ खोद रखी थी। फ़ौरन जवाब देता, “देखिए अम्मी, अब मैं आपसे कह रहा हूँ...
“बाजी बाजी अल्लाह तुम्हारी क़िस्मत पलटेगा”, सितारा को एक दम एहसास हुआ कि साढे़ नौ बज चुके हैं। ज़ुहरा जैसे एक दम जाग पड़ी। “तुम क्या समझ रही हो मुझे, मैं कोई क़िस्मत का कटोरा लेकर कुछ मांगने चली हूँ रियाज़ से?”, ज़ुहरा ने बड़े अजनबी से ग़ुरूर के साथ...
दूसरे दिन मौलवी साहब बहुत देर से उठे। मौजू डर के मारे खेतों पर न गया। सहन में उनकी चारपाई के पास बैठा रहा। जब वो उठे तो उनको मिस्वाक, नहलाया धुलाया और उनके इरशाद के मुताबिक़ शराब का घड़ा ला कर उनके पास रख दिया। मौलवी साहब ने कुछ...
desh kaa ek ik nayan kaToraasaare jahaa.n par Daale Doraa
छम्मन ने उसे रज़ाई में समेट लिया और लंबी लंबी साँसें भर कर सूँघने लगे। कैसी महकती है लीमो जैसे पका हुआ दसहरी, जी नहीं भरता, पानी का छलकता कटोरा रोज़ पियो, रोज़ प्यास ताज़ा, मगर इतना प्यार करना ख़ुद-ग़र्ज़ी है। मुरझाई जाती है। नहीं अब वो उसे हाथ भी...
kaToraa hii nahii.n hai haath me.n bas farq itnaa haijahaa.n baiThe hu.e ho tum kha.De ham bhii vahii.n baabaa
अब तो हम सब सहन से भी मार-मार कर निकाले गए। तय हुआ कि पेड़ों में पानी दिया जाये। बस सारे घर की बालटियाँ, लोटे, तसले, भगोने, पतीलियाँ, लूट ली गईं। जिन्हें ये चीज़ें भी न मिलीं, वो डोंगे और कटोरे गिलास ही ले भागे। अब सब लोग नल पर...
नन्ही की नानी का माँ बाप का नाम तो अल्लाह जाने किया था। लोगों ने कभी उन्हें उस नाम से याद ना किया। जब छोटी सी गलियों में नाक सुड़-सुड़ाती फिरती थीं तो बफ़ातन की लौंडिया के नाम से पुकारी गईं। फिर कुछ दिन “बशीरे की बहू” कहलाईं फिर “बिसमिल्लाह...
“हुँह...” माँ ने दिए की बे-बिज़ा’त रौशनी में सर हिलाते और चिढ़ाते हुए कहा। “किस का पता नहीं चलेगा...” घमंडी को पता चल गया कि माँ से किसी बात का छुपाना अबस है। माँ जो चौबीस साल एक शराबी की बीवी रही है। घमंडी का बाप जब भी दरवाज़े पर...
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