aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Showing search results for "धक्का"
भाप के बड़े बड़े बादल भी एक शोर के साथ पटड़ियों से उठते थे और आँख झपकने की देर में हवा के अंदर घुल मिल जाते थे। फिर कभी कभी जब वो गाड़ी के किसी डिब्बे को जिसे इंजन ने धक्का दे कर छोड़ दिया हो अकेले पटड़ियों पर चलता...
उसने डिप्टी कमिशनर की एक न सुनी। उस पर बस यही ख़ौफ़ सवार था कि ये लीडर महात्मा गांधी के इशारे पर सामराज का तख़्ता उलटने के दर पे हैं और जो हड़तालें हो रही हैं और जल्से मुनअक़िद होते हैं उनके पस-ए-पर्दा यही साज़िश काम कर रही है। डाक्टर...
“उनकी बहनें साहब... कोलाबे वाले साहब की मेमसाहब और वो पार्टी बाइयाँ!” ये सुन कर अशोक बड़े कमरे की तरफ़ बढ़ा। दरवाज़ा बंद था। उसने धक्का दिया। अंदर से अशोक की बीवी की पतली मगर तेज़ आवाज़ आई, “कौन है?”...
गोरा पिछले बरस के वाक़े को पेशे नज़र रख कर उस्ताद मंगू के सीने की चौड़ाई नज़र-अंदाज कर चुका था। वो ख़याल कर रहा था कि उसकी खोपड़ी फिर खुजला रही है। इस हौसला-अफ़्ज़ा ख़याल के ज़ेर-ए-असर वो तांगे की तरफ़ अकड़ कर बढ़ा और अपनी छड़ी से उस्ताद मंगू...
उस जादूगर के पीछे चलते हुए मैंने इन आँखों से वाक़ई इन आँखों से देखा कि उनका सर तब्दील हो गया। उनकी लंबी लंबी ज़ुल्फ़ें कंधों पर झूलने लगीं और उनका सारा वुजूद जटा धारी हो गया इसके बाद चाहे कोई मेरी बोटी बोटी उड़ा देता, मैं उनके साथ सैर...
The pleasures and pains of meeting have been the favourite concern of poets in all ages. Most often, they have written about the meeting and union of lovers in separation. These verses expose you to the pleasures of meeting which also lead to separation sometimes.
We live because there is always a hope around. Life may be tough but this toughness is softened because we see, or try to see, some rays of hope even in the clouds that hang low and heavy. It applies to all of us including the lovers who would perish if left in lurch without hope of union. You may be interested in looking at these verses.
धक्काدھکا
jolt, push, blow
Khoobsurat Dhoka
Film Songs
आप मानें न मानें मगर मैं क़समिया कहता हूँ कि इस बार उसने फिर झूट बोला। इस मर्तबा फिर उसके लहजे ने चुगु़ली खाई और मुझे उससे दिलचस्पी पैदा हो गई। इसलिए कि मैंने अपने दिल में क़सद कर लिया था कि उसे ज़रूर अपने पास बिठाऊंगा और अपना सिगरेट...
त्रिलोचन ख़ूबसूरत था। जब उसके दाढ़ी मूँछ नहीं उगी थी तो वाक़ई लोग उसको खुले केसों के साथ देख कर धोका खा जाते थे कि वो कोई कम-उम्र ख़ूबसूरत लड़की है। मगर बालों के इस अंबार ने अब उसके तमाम ख़द्द-ओ-ख़ाल झाड़ियों के मानिंद अंदर छुपा लिये थे। उसको इसका...
जगदीश और उसके साथियों ने कृष्ण कुमार को कीचड़ भरे गढ़े में धक्का देकर गिरा दिया था। कीचड़ में बेचारा लतपत् है। लड़के छेड़ रहे हैं, जगदीश आगे बढ़ कर जब उसे उठाने लगता है तो उसका कोट फट जाता है। कृष्ण कुमार से अब बर्दाश्त नहीं हो सकता क्योंकि...
शबराती की ज़हनियत ग़ुलामाना थी, इसके अलावा उसको बहुत बड़े इनाम का लालच दिया गया था। वो दूसरे रोज़ बिंदू और चंदू को अपने साथ ले गया। उन्हें कश्ती में बिठाया, उसको ख़ुद खेना शुरू किया। दरिया में दूर तक चला गया, जहाँ कोई देखने वाला नहीं था। उसने चाहा...
परवीन ने शर्मा कर आँखें झुका लीं, उसका रंग ज़र्द था, जिस्म अभी तक काँप रहा था। अख़लाक़ ने बालाई होंट के तिल की तरफ़ देखा तो उसके होंटों में एक बोसा तड़पने लगा। उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम कर उसने तिल वाली जगह को चूमा। परवीन ने...
लाला मूसा के क़रीब लाशों से इतनी मकरूह सड़ाँद निकलने लगी कि बलोची सिपाही उन्हें बाहर फेंकने पर मजबूर हो गए। वो हाथ के इशारे से एक आदमी को बुलाते और उससे कहते, “इसकी लाश को उठा कर यहाँ लाओ, दरवाज़े पर।”, और जब वो आदमी एक लाश उठा कर...
एक रोज़ त्रिपाठी ने जब उसको अपना ताज़ा अफ़साना सुनाया जिसमें किसी औरत और मर्द के जिन्सी तअ’ल्लुक़ात का ज़िक्र था तो ये सोच कर उसके दिल को धक्का सा लगा कि पूरे इक्कीस दिन अपनी बीवी के पास सोने के बजाय वो एक लम डढ़ील के साथ एक ही...
आपका दिल पत्थर का नहीं है छोटे लाला जी! और इस छोकरी का दिल भी पत्थर नहीं है। आप ने इसको सहारा न दिया तो और कौन देगा, ये आती नहीं थी। रो-रो के अपनी जान हलकान कर रही थी। मैंने इसे समझाया और कहा, पगली तू क्यों रोती है,...
पैंतीस साल पहले जैसे ढोंडू ख़ाली हाथ िमल में काम करने आया था उसी तरह ख़ाली हाथ वापस लौटा और दरवाज़े से बाहर निकलने पर और अपना नम्बर कार्ड पीछे छोड़ आने पर उसे एक धचका सा लगा। बाहर आ के उसे ऐसा मालूम हुआ कि जैसे इन पैंतीस सालों...
नरायन ने धक्का दे कर उसे उल्टा दिया और मुस्कुराते हुए कहा,“ये हरामज़ादा तुम्हें इंजेक्शन लगा कर ही रहेगा। ख़बरदार जो तुम ने मुज़ाहमत की।” ये कह कर उसने एक हाथ से मज़बूती के साथ जानकी का बाज़ू पकड़ा, सिरिंज मुझे दे कर उसने स्पिरिट में रूई भिगोई और उसका...
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books