aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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शायद आप क़ियास कर रहे हों कि बेला और बतूल मेरी लड़कियां हैं। नहीं ये ग़लत है मेरी कोई लड़की नहीं है। इन दोनों लड़कियों को मैंने बाज़ार से ख़रीदा है। जिन दिनों हिंदू-मुस्लिम फ़साद ज़ोरों पर था, और ग्रांट रोड, और फ़ारस रोड और मदन पुरा पर इन्सानी ख़ून...
“किसी लायक़ एलोपैथिक डाक्टर से मिलिए, शायद वो...” “उससे भी मिल चुके हैं। ख़ून, पेशाब, थूक, फेफड़े, दिल और आँखें टेस्ट करने के बाद कहने लगा, उनमें तो कोई नुक़्स नहीं मालूम होता है। आपको नींद से एलर्जी हो गई है।” ...
बहन-भाई का रिश्ता कुछ और है मगर किसी औरत को अपनी बहन कहना इस अंदाज़ से जैसे ये बोर्ड लगाया जा रहा है कि सड़क बंद है या यहां पेशाब करना मना है, बिल्कुल दूसरी बात है। अगर तुम किसी औरत से जिंसी रिश्ता क़ायम नहीं करना चाहते तो इसका...
“मैं कैसे मुसलमान हो सकती हूँ।” शारदा की आवाज़ मद्धम थी। “तुम क्यों मुसलमान नहीं हो सकतीं... मेरा मतलब है कि...तुम मुझसे मोहब्बत करती हो। इसके इलावा इस्लाम सबसे अच्छा मज़हब है... हिंदू मज़हब भी कोई मज़हब है। गाय का पेशाब पीते हैं। बुत पूजते हैं... मेरा मतलब है कि...
मकान के उस तरफ़ जहां मैंने उसे गिराया था जब उसकी लाश देखी जाएगी तो लोग यही समझेंगे कि सोते में चली है और खिड़की से बाहर गिर पड़ी है। ख़ुदा ख़ुदा कर के सुबह हुई, गर्दन पर मैंने रूमाल बांध लिया ताकि ज़ख़्म दिखाई न दें। नौ बज गए,...
Mir Taqi Mir has been used by a number of poets as a subject in their poetry. All poets who wrote after Mir acknowledged him as a master. While reading these verses you may see how Mir has been a healthy obsession with the poets through ages.
Poetry for visiting the sick has an interesting and humorous aspect. An afflicted lover wants his beloved to visit him and waits until the sickness reaches a boiling point. Yet, the indifferent beloved does not visit the lover. This character can only be synonymous of a lover who waits for his her beloved while faking illness hundreds of times. Apart from this aspect, there are more amusing articles about poetry written for vising the sick. Here are a few good selections for you to read.
पेशाबپیشاب
urine
मूत, मूत्र, प्रस्राव ।।
Pesha To Sipahgari Ka Bhala
Waris Alvi
Criticism
गौतमा की छोटी बहन अंदर से अपनी तस्वीरों वाली किताब ले आई और मुझे और गौतमा को रंग-बिरंगी तितलियों, चिड़ियों, रेलगाड़ियों, जहाज़ों और मछलियों की तस्वीरें दिखाने लगी। बावर्चीख़ाने की तरफ़ से लीमूँ के फूलों की तुर्श ख़ुशबू आ रही थी। गौतमा ने एक-दो दफ़ा बड़ी अफ़सुरदा निगाहों से मुझे...
सरीता की माँ की ज़बान पर हर वक़्त ये कहानी जारी रहती थी लेकिन किसी को यक़ीन नहीं था कि ये सच है या झूट। चाली में से किसी आदमी को भी सरीता की माँ से हमदर्दी न थी। शायद इसलिए कि वो सबके सब ख़ुद हमदर्दी के क़ाबिल थे,...
कांग्रेस हाउस और जिन्ना हाल से थोड़े ही फ़ासले पर एक पेशाबगाह है जिसे बंबई में “मूत्री” कहते हैं। आस-पास के मुहल्लों की सारी ग़लाज़त इस तअफ़्फ़ुन भरी कोठड़ी के बाहर ढेरियों की सूरत में पड़ी रहती है। इस क़दर बदबू होती है कि आदमियों को नाक पर रूमाल रख...
“जब वो आई, तो ख़ुदा की क़सम मुझे बहुत दुख हुआ… बेचारी को पेशाब करना था। माँ और छोटी बहन साथ गईं। इज़ारबंद खोला…फिर बंद किया। कितनी ख़ूबसूरत है…बैठी हो…” “तो ख़ुदा की क़सम बिल्कुल पता नहीं चलता कि फ़ालिजज़दा है।”...
पिछले बरस जब उसके दोस्त दीनू का जवान लड़का मर गया तो उसको क़ब्र में उतार कर उसने बड़े मुअस्सिर अंदाज़ में ये कहा था। हाय, क्या हशीन जवान लड़का था। थूक फेंकता था तो बीस गज़ दूर जाके गिरती थी। उसकी पेशाब की धार का तो आस-पास के किसी...
फूपी बादशाही हमेशा सफ़ेद कपड़े पहना करतीं थीं। जिस दिन फूपा मसऊद अली ने मेहतरानी के संग कुलेलें करनी शुरू कीं फूपी ने बट्टे से सारी चूड़ियाँ छना छन तोड़ डालीं। रंगा दुपट्टा उतार दिया और उस दिन से वो उन्हें मरहूम या मरने वाला कहा करती थीं। मेहतरानी को...
हम तीनों सही माअनों में उठ भागे। नीचे बाज़ार में पहुंचे तो हमारा तकद्दुर कुछ दूर हूआ। बूढे और लड़की को देख कर हमारे जमालियाती ज़ौक़ को बहुत ही शदीद सदमा पहुंचा था। देर तक हम चुप चाप रहे। फ़ख़्र टहलता रहा। मसऊद एक कोने में पेशाब करने के लिए...
“हाँ बेबी, जब तुम बहोत छोटी थीं। तुमारी नई माँ आई तो उसने पैसे की बचत के ख़्याल से तुमारी आया को हटा दिया और ख़ुद तुमारी देख-भाल करने लगी मगर...” पप्पा ने दरवाज़े की सिम्त देखते हुए आहिस्ता से कहा, “मगर स्टेप मदर अपनी माँ कहाँ हो सकती है।...
वन क़ुतरे ने अपने लिए एक और पैग बनाया और मुझसे मुख़ातिब हो कर कहा, “ये साला चड्डा समझता है, मैं इंग्लिश नहीं समझता हूँ। मैट्रिकुलेट हूँ... साला मेरा बाप मुझसे बहुत मोहब्बत करता था... उसने...” चड्डे ने चिड़ कर कहा, “उसने तुझे तानसेन बना दिया... तेरी नाक मरोड़ दी...
अभी उसने टांग उठा कर पेशाब करना नहीं सीखा था, या’नी अभी कमसिन था कि उसने एक बर्तन को जो कि ख़ाली था, थूथनी बढ़ा कर सूँघा। मैंने उसे झिड़का तो दुम दबा कर वहीं बैठ गया। पहले उसके चेहरे पर हैरत सी पैदा हुई थी कि हैं ये मुझसे...
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