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शेर
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
ख़्वाजा मीर दर्द
शेर
दुनिया के जो मज़े हैं हरगिज़ वो कम न होंगे
चर्चे यूँही रहेंगे अफ़्सोस हम न होंगे
आग़ा मोहम्मद तक़ी ख़ान तरक़्क़ी
शेर
'सबा' हम ने तो हरगिज़ कुछ न देखा जज़्ब-ए-उल्फ़त में
ग़लत ये बात कहते हैं कि दिल को राह है दिल से
लाल कांजी मल सबा
शेर
ब-जुज़ हक़ के नहीं है ग़ैर से हरगिज़ तवक़्क़ो कुछ
मगर दुनिया के लोगों में मुझे है प्यार से मतलब
मह लक़ा चंदा
शेर
हवा भी इश्क़ की लगने न देता मैं उसे हरगिज़
अगर इस दिल पे होता हाए कुछ भी इख़्तियार अपना
ताबाँ अब्दुल हई
शेर
दयार-ए-इश्क़ में तन्हा रहा नहीं हरगिज़
ख़ुशी ने हाथ जो छोड़ा तो ग़म ने थाम लिया