aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "روانہ"
आए ठहरे और रवाना हो गएज़िंदगी क्या है, सफ़र की बात है
मैं जानता हूँ मिरे बा'द ख़ूब रोएगारवाना कर तो रहा है वो हँसते हँसते मुझे
न पूछ हाल मिरा चोब-ए-ख़ुश्क-ए-सहरा हूँलगा के आग मुझे कारवाँ रवाना हुआ
दुख के सफ़र पे दिल को रवाना तो कर दियाअब सारी उम्र हाथ हिलाते रहेंगे हम
मैं इक शजर की तरह रह-गुज़र में ठहरा हूँथकन उतार के तू किस तरफ़ रवाना हुआ
हाथ ख़ाली न थे जब घर से रवाना हुआ मैंसब ने झोली में मिरी अपनी ज़रूरत रख दी
कोई चराग़ मिरी सम्त भी रवाना करोबहुत दिनों से अँधेरा मिरे वजूद में है
अजीब आग लगा कर कोई रवाना हुआमिरे मकान को जलते हुए ज़माना हुआ
लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़मसअले जैसे रवाना हों किसी हल की तरफ़
इक दूर के सफ़र पे रवाना भी हूँ 'ज़फ़र'सुस्त-उल-वजूद घर में पड़ा भी हुआ हूँ मैं
गले लगा के रवाना भी कर सकूँ उस कोपलट के आए तो साज़िश की मुख़्बिरी भी हो
इसी लिए मुझे रस्ते में शाम आई हैमैं अपनी सम्त बड़ी देर से रवाना हुआ
इस बला को तो ख़ुदा जल्द करे शहर-बदरकाले पानी को रवाना शब-ए-हिज्राँ हो जाए
दुनिया के क़ाफ़िले में रवाना हैं इस लिएहम भी मुनाफ़िक़ीन की पहचान कर सकें
आज 'महमूद' के सर पर नहीं साया कोईमाँ सफ़र पर मुझे करती थी रवाना मिरे दोस्त
समंद-ए-ख़्वाब वहाँ छोड़ कर रवाना हुआजहाँ सुराग़-ए-सफ़र कोई नक़्श-ए-पा न हुआ
कल क़ाफ़िला-ए-निक्हत-ए-गुल होगा रवानामत छोड़ियो तू साथ नसीम-ए-सहरी का
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करोतुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
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