aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "صدی"
तहज़ीब के लिबास उतर जाएँगे जनाबडॉलर में यूँ नचाएगी इक्कीसवीं सदी
फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँदुनिया को यूँ मिटाएगी इक्कीसवीं सदी
इंसान हो किसी भी सदी का कहीं का होये जब उठा ज़मीर की आवाज़ से उठा
साफ़ जज़्बों के हवाले से तो ग़म हैं लेकिनएक लम्हे की ख़ुशी एक सदी रहती है
गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथकाट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ
मीर के बाद ग़ालिब ओ इक़बालइक सदा, इक सदी में गुज़री है
जिस सदी में वफ़ा का चलन ही नहींहम बनाए गए उस सदी के लिए
कह दो 'मीर'-ओ-'ग़ालिब' से हम भी शे'र कहते हैंवो सदी तुम्हारी थी ये सदी हमारी है
इक बरस हो गया उसे देखेइक सदी आ गई है साल के बीच
ये साल तूल-ए-मसाफ़त से चूर चूर गयाये एक साल तो गुज़रा है इक सदी की तरह
ख़ला में तैरते फिरते हैं हाथ पकड़े हुएज़मीं की एक सदी एक साल सूरज का
काग़ज़ की ये महक ये नशा रूठने को हैये आख़िरी सदी है किताबों से 'इश्क़ की
उसी की ताल में गुम है सदी का सन्नाटावो एक गीत अभी तक जो गुनगुनाया नहीं
कोई सदी मिरी मुंतज़िर है किसी सदी से गुज़र रहा हूँमैं एक मंज़र में जी उठूँगा मैं एक मंज़र में मर रहा हूँ
'अनवर' ख़ुदा करे कि ये सच्ची न हो ख़बरइक्कीसवीं सदी में वडेरे भी जाएँगे
जो मैं सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदातिरा दिल तो है सनम-आश्ना तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलतीचलो तुम उधर को हवा हो जिधर की
हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी हैशहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लेंकुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और
गला तो घोंट दिया अहल-ए-मदरसा ने तिराकहाँ से आए सदा ला इलाह इल-लल्लाह
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