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शेर
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
शेर
क्या मुसीबत है कि हर दिन की मशक़्क़त के एवज़
बाँध जाता है कोई रात का पत्थर मुझ से
अफ़ज़ल गौहर राव
शेर
बे-हिस-ओ-हैराँ जो हूँ घर में पड़ा इस के एवज़
काश मैं नक़्श-ए-क़दम होता किसी की राह का