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शेर
हसीं यादें वो बचपन की कहीं दिल से न खो जाएँ
मैं अपने आशियाने में खिलौने अब भी रखता हूँ
बशीर महताब
शेर
ऐ ज़ुल्म के मातो लब खोलो चुप रहने वालो चुप कब तक
कुछ हश्र तो उन से उट्ठेगा कुछ दूर तो नाले जाएँगे