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शेर
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ
मोहसिन नक़वी
शेर
इश्क़ में क्या नुक़सान नफ़अ है हम को क्या समझाते हो
हम ने सारी उम्र ही यारो दिल का कारोबार किया
जाँ निसार अख़्तर
शेर
दिल में तुम हो न जलाओ मिरे दिल को देखो
मेरा नुक़सान नहीं अपना ज़ियाँ कीजिएगा
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शेर
मुझे ये ज़िंदगी नुक़सान का सौदा नहीं लगती
मैं आने वाली दुनिया को भी तख़मीने में रखता हूँ