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शेर
कोई दस्त-ए-मसीहाई करम-अंदाज़ होने तक
नमक-पाशी का ज़ख़्मों को मज़ा भी लग चुका होगा
जमाल अब्बास फ़हमी
शेर
ऐ दिल-ए-बे-जुरअत इतनी भी न कर बे-जुरअती
जुज़ सबा उस गुल का इस दम पासबाँ कोई नहीं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
उन से ऐ दोस्त मिरा यूँ कोई रिश्ता तो न था
क्यूँ फिर इस तर्क-ए-तअल्लुक़ से पशेमान था मैं
साहिल अहमद
शेर
मैं वो ग़म-दोस्त हूँ जब कोई ताज़ा ग़म हुआ पैदा
न निकला एक भी मेरे सिवा उम्मीद-वारों में
हैदर अली आतिश
शेर
न तू जल्दी कर ऐ दस्त-ए-जुनूँ नासेह को सीने दे
बहार आ पहुँची अब कोई ठहरते हैं रफ़ू इस के