aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "کھوتی"
मुफ़लिसी सब बहार खोती हैमर्द का ए'तिबार खोती है
मैं ख़ुद पे ज़ब्त खोती जा रही हूँजुदाई क्या सितम-आलूद शय है
रात यूँ दिल में तिरी खोई हुई याद आईजैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए
सुना है सच्ची हो नीयत तो राह खुलती हैचलो सफ़र न करें कम से कम इरादा करें
हम अर्ज़-ए-वफ़ा भी कर न सके कुछ कह न सके कुछ सुन न सकेयाँ हम ने ज़बाँ ही खोली थी वाँ आँख झुकी शरमा भी गए
ख़तों को खोलती दीमक का शुक्रिया वर्नातड़प रही थी लिफ़ाफ़ों में बे-ज़बानी पड़ी
दस बजे रात को सो जाते हैं ख़बरें सुन करआँख खुलती है तो अख़बार तलब करते हैं
क्या मिला अर्ज़-ए-मुद्दआ कर केबात भी खोई इल्तिजा कर के
पहले पहले हवस इक-आध दुकाँ खोलती हैफिर तो बाज़ार के बाज़ार से लग जाते हैं
खिड़की ने आँखें खोलीदरवाज़े का दिल धड़का
हर तरफ़ अपने ही अपने हाए तन्हाई न पूछकिस क़दर खलती है अक्सर हम को बीनाई न पूछ
लॉन्ड्री खोली थी उस के इश्क़ मेंपर वो कपड़े हम से धुलवाता नहीं
दिल की धड़कन भी बड़ी चीज़ है तन्हाई मेंतेरी खोई हुई आवाज़ सुना करते हैं
दिल की खेती सूख रही है कैसी ये बरसात हुईख़्वाबों के बादल आते हैं लेकिन आग बरसती है
तह-ब-तह खुलती ही रहती है सदा'मीर' के दीवान सी है ज़िंदगी
तिरे बदन की ख़लाओं में आँख खुलती हैहवा के जिस्म से जब जब लिपट के सोता हूँ
सुनाता है क्या हैरत-अंगेज़ क़िस्सेहसीनों में खोई हो जिस ने जवानी
गामज़न हैं हम मुसलसल अजनबी मंज़िल की सम्तज़िंदगी की आरज़ू में ज़िंदगी खोते हुए
ख़्वाब में तोड़ता रहता हूँ अना की ज़ंजीरआँख खुलती है तो दीवार निकल आती है
शाम खुलती है तेरे आने सेलब पे तेरा सवाल रखती है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books