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शेर
गर्म आँसू और ठंडी आहें मन में क्या क्या मौसम हैं
इस बग़िया के भेद न खोलो सैर करो ख़ामोश रहो
इब्न-ए-इंशा
शेर
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
ख़ुदा का शुक्र सलामत रहा हरम का ग़िलाफ़
अल्लामा इक़बाल
शेर
अहमद हुसैन माइल
शेर
छलक जाती है अश्क-ए-गर्म बन कर मेरी आँखों से
ठहरती ही नहीं सहबा-ए-दर्द इन आबगीनों में
अब्दुल रहमान बज़्मी
शेर
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना