aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "अजमी"
मैं ज़ख़्म खा के गिरा था कि थाम उस ने लियामुआफ़ कर के मुझे इंतिक़ाम उस ने लिया
आवाज़ दे रहा था कोई मुझ को ख़्वाब मेंलेकिन ख़बर नहीं कि बुलाया कहाँ गया
ये अलग बात कि वो दिल से किसी और का थाबात तो उस ने हमारी भी ब-ज़ाहिर रक्खी
अब वो तितली है न वो उम्र तआ'क़ुब वालीमैं न कहता था बहुत दूर न जाना मिरे दोस्त
कभी देखा ही नहीं उस ने परेशाँ मुझ कोमैं कि रहता हूँ सदा अपनी निगहबानी में
उस को जाने दे अगर जाता हैज़हर कम हो तो उतर जाता है
हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता हैप्यास का ज़ाइक़ा पानी की तरह होता है
चंद ख़ुशियों को बहम करने मेंआदमी कितना बिखर जाता है
टूटता है तो टूट जाने दोआइने से निकल रहा हूँ मैं
मैं सो गया तो कोई नींद से उठा मुझ मेंफिर अपने हाथ में सब इंतिज़ाम उस ने लिया
कभी भुलाया कभी याद कर लिया उस कोये काम है तो बहुत मुझ से काम उस ने लिया
बजा है ज़िंदगी से हम बहुत रहे नाराज़मगर बताओ ख़फ़ा तुम से भी कभू हुए हैं
शजर से बिछड़ा हुआ बर्ग-ए-ख़ुश्क हूँ 'फ़ैसल'हवा ने अपने घराने में रख लिया है मुझे
अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई हैमोहब्बतों को कोई बद-दुआ लगी हुई है
क्या इल्म कि रोते हों तो मर जाते हों 'फ़ैसल'वो लोग जो आँखों को कभी नम नहीं करते
जिस्म थकता नहीं चलने से कि वहशत का सफ़रख़्वाब में नक़्ल-ए-मकानी की तरह होता है
आज फिर आईना देखा है कई साल के बादकहीं इस बार भी उजलत तो नहीं की गई है
किसी के रास्ते की ख़ाक में पड़े हैं 'ज़फ़र'मता-ए-उम्र यही आजिज़ी निकलती है
रोज़ आसेब आते जाते हैंऐसा क्या है ग़रीब-ख़ाने में
दुख नहीं है कि जल रहा हूँ मैंरौशनी में बदल रहा हूँ मैं
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