aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "एतिमाद"
हर शख़्स पर किया न करो इतना ए'तिमादहर साया-दार शय को शजर मत कहा करो
जान तुझ पर कुछ ए'तिमाद नहींज़िंदगानी का क्या भरोसा है
ये ए'तिमाद भी मेरा दिया हुआ है तुम्हेंजो मेरे मशवरे बे-कार जाने लग गए हैं
कभी उरूज पे था ख़ुद पे ए'तिमाद मिराग़ुरूब कैसे हुआ है ये आफ़्ताब न पूछ
ईमाँ भी लाज रख न सका मेरे झूट कीअपने ख़ुदा पे कितना मुझे ए'तिमाद था
लफ़्ज़ों को ए'तिमाद का लहजा भी चाहिएज़िक्र-ए-सहर बजा है यक़ीन-ए-सहर भी है
मैं अपने आप लड़ूँगा समुंदरों से जंगअब ए'तिमाद मुझे अपने नाख़ुदा पे नहीं
क़ानून जैसे खो चुका सदियों का ए'तिमादअब कौन देखता है ख़ता का है रुख़ किधर
मैं आंधियों से लड़ा था इस ए'तिमाद के साथदरख़्त टूट भी जाए तो काम आता है
था ए'तिमाद-ए-हुस्न से तू इस क़दर तहीआईना देखने का तुझे हौसला न था
दोस्त-दार-ए-दुश्मन है ए'तिमाद-ए-दिल मा'लूमआह बे-असर देखी नाला ना-रसा पाया
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े सेमैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता
मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिनमुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर
आदतन तुम ने कर दिए वादेआदतन हम ने ए'तिबार किया
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार कियातमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया
आप का ए'तिबार कौन करेरोज़ का इंतिज़ार कौन करे
अब इन हुदूद में लाया है इंतिज़ार मुझेवो आ भी जाएँ तो आए न ए'तिबार मुझे
तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जानाकि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता
मैं जुर्म का ए'तिराफ़ कर केकुछ और है जो छुपा गया हूँ
बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिनवो जानता था कि है एहतिमाम किस के लिए
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