aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ऐबक"
न थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब ओ हुनरपड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र तो निगाह में कोई बुरा न रहा
शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र मेंऐब भी करने को हुनर चाहिए
हमारे ऐब ने बे-ऐब कर दिया हम कोयही हुनर है कि कोई हुनर नहीं आता
हुस्न ये है कि दिलरुबा हो तुमऐब ये है कि बेवफ़ा हो तुम
सब की तरह तू ने भी मिरे ऐब निकालेतू ने भी ख़ुदाया मिरी निय्यत नहीं देखी
ख़ुश-नसीबी में है यही इक ऐबबद-नसीबों के घर नहीं आती
दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैंकोई दुश्मन भी तिरा है कि नहीं
मैं उस के ऐब उस को बताता भी किस तरहवो शख़्स आज तक मुझे तन्हा नहीं मिला
हम को आपस में मोहब्बत नहीं करने देतेइक यही ऐब है इस शहर के दानाओं में
मुझ में है यही ऐब कि औरों की तरह मैंचेहरे पे कभी दूसरा चेहरा नहीं रखता
फ़रिश्ता है तो तक़द्दुस तुझे मुबारक होहम आदमी हैं तो ऐब-ओ-हुनर भी रखते हैं
किसी के ऐब छुपाना सवाब है लेकिनकभी कभी कोई पर्दा उठाना पड़ता है
आप ही की है अदालत आप ही मुंसिफ़ भी हैंये तो कहिए आप के ऐब-ओ-हुनर देखेगा कौन
इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फ़राग़'जब ख़ुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा
सच है इस एक पर्दे में छुपते हैं लाख ऐबयानी जनाब-ए-शैख़ की दाढ़ी दराज़ है
हमारे ऐब में जिस से मदद मिले हम कोहमें है आज कल ऐसे किसी हुनर की तलाश
मुझ में थे जितने ऐब वो मेरे क़लम ने लिख दिएमुझ में था जितना हुस्न वो मेरे हुनर में गुम हुआ
आजिज़ी आज है मुमकिन है न हो कल मुझ मेंइस तरह ऐब निकालो न मुसलसल मुझ में
नज़दीक की ऐनक से उसे कैसे मैं ढूँडूँजो दूर की ऐनक है कहीं दूर पड़ी है
तेशा-ब-कफ़ को आइना-गर कह दिया गयाजो ऐब था उसे भी हुनर कह दिया गया
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