aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कसरत"
बुत नज़र आएँगे माशूक़ों की कसरत होगीआज बुत-ख़ाना में अल्लाह की क़ुदरत होगी
ग़रीबी नाम है जिस का अज़ाब-ए-जान होती हैमगर दौलत की कसरत मोहलिक-ए-ईमान होती है
इन परी-रूयों की ऐसी ही अगर कसरत रहीथोड़े अर्सा में परिस्ताँ आगरा हो जाएगा
हो गया मेहमाँ-सरा-ए-कसरत-ए-मौहूम आहवो दिल-ए-ख़ाली कि तेरा ख़ास ख़ल्वत-ख़ाना था
कसरत-ए-सज्दा से पशेमाँ हैंकि तिरा नक़्श-ए-पा मिटा बैठे
तू ने वहदत को कर दिया कसरतकभी तन्हा नज़र नहीं आता
वहदत-ए-हुस्न के जल्वों की ये कसरत ऐ इश्क़दिल के हर ज़र्रे में आलम है परी-ख़ाने का
इक सच की आवाज़ में हैं जीने के हज़ार आहंगलश्कर की कसरत पे न जाना बैअत मत करना
इश्क़ ने कसरत से जा की मुझ दिल-ए-बेताब मेंआ भरा दरिया-ए-आतिश क़तरा-ए-सीमाब में
कसरत से मय जो पी है नज़र है मआल पररअशा नहीं है काँप रहा हूँ गुनाह से
जब कि वहदत है बाइस-ए-कसरतएक है सब का रास्ता वाइज़
वो इस लिए कि मोहब्बत की रस्म ज़िंदा रहेहसीन लोग ब-कसरत जहाँ में भेजे गए
काबा ओ दैर जिधर देखा उधर कसरत हैआह क्या जाने किधर गोशा-ए-तन्हाई है
बरहमन का'बे में आया शैख़ पहूँचा दैर मेंलोग बे-वहदत हुए हैं तेरी कसरत देख कर
आज कल जो कसरत-ए-शोरीदगान-ए-इश्क़ हैरोज़ होते जाते हैं हद्दाद नौकर सैकड़ों
कसरत-ए-दौलत में लुत्फ़-ए-ख़ाना-बरबादी भी हैशहद के होने से लुट जाता है घर ज़ंबूर का
मा'नी-ओ-सूरत वहदत-ओ-कसरत ज़र्रा-ओ-सहरा आप हुएआप तो कुछ होते ही नहीं थे कहिए क्या क्या आप हुए
औलाद की कसरत पे है सौ सौ यहाँ क़दग़नमैं सौ से ज़ियादा तो बहर-तौर करूँगा
मसअला कसरत में वहदत का हुआ हल तुम से ख़ूबएक ही झूट और तुम्हारे लाख इक़रारों में है
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद परतू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में
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