aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ख़ुश-बाश"
घर भी वीराना लगे ताज़ा हवाओं के बग़ैरबाद-ए-ख़ुश-रंग चले दश्त भी घर लगता है
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता थापर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सहीतुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
मुद्दत के बाद ख़्वाब में आया था मेरा बापऔर उस ने मुझ से इतना कहा ख़ुश रहा करो
ये कैसी बात हुई है कि देख कर ख़ुश हैवो आँसुओं के समुंदर के दरमियान मुझे
वो ख़ुश किसी के साथ हैं ना-ख़ुश किसी के साथहर आदमी की बात है हर आदमी के साथ
कोई ख़ुश हो कि ख़फ़ा हो 'हैरत'हम तो हर बात खरी कहते हैं
वा'दा क्यूँ बार बार करते होख़ुद को बे-ए'तिबार करते हो
बे-आरज़ू भी ख़ुश हैं ज़माने में बाज़ लोगयाँ आरज़ू के साथ भी जीना हराम है
ख़ुश-शक्ल भी है वो ये अलग बात है मगरहम को ज़हीन लोग हमेशा पसंद थे
कोई जिस बात से ख़ुश है तो ख़फ़ा दूसरा हैकुछ भी कहने में किसी से यही दुश्वारी है
रोऊँ तो ख़ुश हो के पिए है वो मयसमझे है मौसम इसे बरसात का
तू लुत्फ़ करे या न करे ख़ुश हो कि ना-ख़ुशइस बात पे मरता हूँ कि आशिक़ हूँ तिरा मैं
ख़ुशी की बात और है ग़मों की बात औरतुम्हारी बात और है हमारी बात और
इक अर्से बाद हुई खुल के गुफ़्तुगू उस सेइक अर्से बाद वो काँटा चुभा हुआ निकला
शब को इक बार खुल के रोता हूँफिर बड़े सुख की नींद सोता हूँ
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
यूँ ख़ुश न हो ऐ शहर-ए-निगाराँ के दर ओ बामये वादी-ए-सफ़्फ़ाक भी रहने की नहीं है
मिलना न मिलना ये तो मुक़द्दर की बात हैतुम ख़ुश रहो रहो मिरे प्यारे जहाँ कहीं
ख़ुद-कुशी जैसी कोई बात नहींइक ज़रा मुझ को बद-गुमानी है
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