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शेर
कुंज-ए-क़फ़स ही जिस का मुक़द्दर हुआ 'जमील'
उस की नज़र में दौर-ए-ख़िज़ाँ क्या बहार क्या
जमील अज़ीमाबादी
शेर
आल-ए-अहमद सुरूर
शेर
तेरा ख़याल ख़्वाब ख़्वाब ख़ल्वत-ए-जाँ की आब-ओ-ताब
जिस्म-ए-जमील-ओ-नौजवाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर
जौन एलिया
शेर
इल्तिफ़ात-ए-यार था इक ख़्वाब-ए-आग़ाज़-ए-वफ़ा
सच हुआ करती हैं इन ख़्वाबों की ताबीरें कहीं
हसरत मोहानी
शेर
कहानी है तो इतनी है फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती की
कि आँखें बंद हूँ और आदमी अफ़्साना हो जाए
सीमाब अकबराबादी
शेर
तिलिस्म-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा ओ दाम-ए-बर्दा-फ़रोश
हज़ार तरह के क़िस्से सफ़र में होते हैं