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शेर
तलाश-ए-सूरत-ए-तस्कीं न कर औहाम-हस्ती में
दिल-ए-महज़ूँ बहल सकता नहीं इस नक़्श-ए-बातिल से
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
शेर
है तलाश-ए-दो-जहाँ लेकिन ख़बर अपनी किसे
जीते-जी तक जुस्तुजू सब कुछ है और फिर कुछ नहीं
जोर्ज पेश शोर
शेर
तलाश-ए-यार में गर्दिश को मैं तौफ़-ए-हरम समझूँ
करूँ चारों-तरफ़ सज्दे कि वो हर-सू निकलते हैं
इमदाद अली बहर
शेर
जोर्ज पेश शोर
शेर
फ़िक्र-ए-सुख़न तलाश-ए-मआश ओ ख़याल-ए-यार
ग़म कम हुआ तो हाँ दिल-ए-बे-ग़म से होवेगा
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
कहाँ के नाम ओ नसब इल्म क्या फ़ज़ीलत क्या
जहान-ए-रिज़्क़ में तौक़ीर-ए-अहल-ए-हाजत क्या
इफ़्तिख़ार आरिफ़
शेर
की दिल ने दिल-बरान-ए-जहाँ की बहुत तलाश
कुइ दिल-रुबा मिला है न दिल-ख़्वाह क्या करे