aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "दस्तक"
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला हैकिस की आहट सुनता हूँ वीराने में
झोंके के साथ छत गई दस्तक के साथ दर गयाताज़ा हवा के शौक़ में मेरा तो सारा घर गया
हम किसी दर पे न ठिटके न कहीं दस्तक दीसैकड़ों दर थे मिरी जाँ तिरे दर से पहले
मैं उस को भूल गया हूँ वो मुझ को भूल गयातो फिर ये दिल पे क्यूँ दस्तक सी ना-गहानी हुई
सुकूत-ए-शब में दर-ए-दिल पे एक दस्तक थीबिखर गई तिरी यादों की कहकशाँ मुझ से
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक होमकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा
कोई दस्तक कोई आहट न शनासा आवाज़ख़ाक उड़ती है दर-ए-दिल पे बयाबाँ की तरह
दे रहे हैं लोग मेरे दिल पे दस्तक बार बारदिल मगर ये कह रहा है सिर्फ़ तू और सिर्फ़ तू
एक मैं हूँ और दस्तक कितने दरवाज़ों पे दूँकितनी दहलीज़ों पे सज्दा एक पेशानी करे
दस्तक में कोई दर्द की ख़ुश्बू ज़रूर थीदरवाज़ा खोलने के लिए घर का घर उठा
रोज़ दस्तक सी कोई देता है सीने में 'नबील'रोज़ मुझ में किसी आवाज़ के पर खुलते हैं
बंद रक्खोगे दरीचे दिल के यारो कब तलककोई दस्तक दे रहा है उठ के देखो तो सही
मेरे अंदर एक दस्तक सी कहीं होती रहीज़िंदगी ओढ़े हुए मैं बे-ख़बर सोती रही
दस्तक देने वाले तुझ को इल्म नहींदरवाज़े के दोनों जानिब ताला है
कोई दस्तक कोई आहट न सदा है कोईदूर तक रूह में फैला हुआ सन्नाटा है
ख़त्म हो जाएगा जिस दिन भी तुम्हारा इंतिज़ारघर के दरवाज़े पे दस्तक चीख़ती रह जाएगी
हज़ार बार ख़ुद अपने मकाँ पे दस्तक दीइक एहतिमाल में जैसे कि मैं ही अंदर था
खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशामिरे हाथों में दस्तक भर गई है
भली क्यूँ लगे हम को ख़ुशियों की दस्तकअभी हम मोहब्बत का ग़म कर रहे हैं
सदियों का इंतिशार फ़सीलों में क़ैद थादस्तक ये किस ने दी कि इमारत बिखर गई
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