aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "नैन-सुख"
लोगों के फोड़ता फिरे शीशेमोहतसिब को तो मस्ख़रा कहिए
और सब 'मानी' ने तेरी तो बनाई तस्वीरपर दुरुस्त हो न सकी चेहरे की पर्वाज़ हनूज़
ईधर से सेते जाओ और ऊधर से फटता जाएऐसे तरह के कपड़े को फिर सीजे भी नहीं
पूछे कोई किसी को सो इम्कान ही नहींना-पुर्सी का ये दौर अनोखा भला फिरा
जितना कि है इफ़रात तिरी कम-निगही काउतना ही इधर देखो तो ये दीदा-ए-नम है
वो जो इक तोला कई माशा थी यारी तुम सेरत्ती भर भी न रहा इस में कुछ आसार कहीं
चटपटी दिल की बुझी यार के देखे से यूँभूके को जैसे कहीं से गोया खाना आया
आईने से मुझ दल के तहय्युर को मिला देखये दोनों बराबर हैं कोई बेश न कम है
देखा है कहीं गुल ने तुझे जिस की ख़ुशी सेफूला है वो इतना कि क़बा में न समावे
जावे भी फिर आवे भी कई शक्ल से हर बारचक्कर में कहाँ, पर ये मज़ा तान में देखा
आगे को बढ़ सके है न पीछे को हट सकेयाँ तक तिरे ख़याल में अब डट गया है दिल
ये सारा क़ज़िया तो हम से है इस से तुम को क्यातुम अपने एक तरफ़ हो रहो हुआ सो हवा
इस माजरा को जा के कहूँ किस के रू-ब-रूमेरी तो दौड़ हैगी तिरे आस्ताँ तिलक
साने' मिरा वो है कि हो कैसी ही चोब-ए-ख़ुश्कसौ सौ दफ़ा वो चाहे तो उस को हरी करे
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