आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मंसूबे"
शेर के संबंधित परिणाम "मंसूबे"
शेर
कुछ ग़म-ए-जानाँ कुछ ग़म-ए-दौराँ दोनों मेरी ज़ात के नाम
एक ग़ज़ल मंसूब है उस से एक ग़ज़ल हालात के नाम
मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
शेर
मिरी हर बात पस-मंज़र से क्यूँ मंसूब होती है
मुझे आवाज़ सी आती है क्यूँ उजड़े दयारों से