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शेर
पूछा है हाल-ए-ज़ार तो सुन लो ख़ता-मुआफ़
कुछ बात मेरे होंटों में है कुछ ज़बान में
लाला माधव राम जौहर
शेर
आज डूबा हुआ ख़ुशबू में है पैराहन-ए-जाँ
ऐ सबा किस ने ये पूछा है तिरा नाम-ओ-निशाँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
एक नश्तर है कि देता है रग-ए-जाँ को ख़राश
एक काँटा है कि पहलू में चुभोता है कोई
मेहदी अली ख़ान ज़की लखनवी
शेर
तालिब-ए-बोसा हूँ मैं क़ासिद वो हैं ख़्वाहान-ए-जान
ये ज़रा सी बात है मिलते ही तय हो जाएगी
हबीब मूसवी
शेर
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
विर्द-ए-इस्म-ए-ज़ात खोला चाहता है ये गिरह
मेरे दिल पर दाँत है अल्लाह की तश्दीद का