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शेर
पास-ए-पिंदार-ए-तबीअत दिल अगर रख ले तो क्या
है वजूद-ए-दर्द मोहकम ज़ब्त-ए-ग़म कर ले तो क्या
ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब
शेर
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले
हिसाब होता रहेगा या रब हमें मँगा दे शराब पहले
अख़्तर शीरानी
शेर
कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है
हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते
फ़ना निज़ामी कानपुरी
शेर
ब-पास-ए-एहतिराम-ए-इश्क़ हम ख़ामोश हैं वर्ना
परेशाँ कर भी सकते हैं परेशाँ हो भी सकते हैं
अबरार शाहजहाँपुरी
शेर
ज़ो'म-ए-तुक़ा हिजाब-ए-तज़ाहुर निफ़ाक़ का
हर जा रक़म है इस में भी इज़्न ओ क़ुम-ए-दरोग़
अख़लाक़ अहमद आहन
शेर
ब-पास-ए-दिल जिसे अपने लबों से भी छुपाया था
मिरा वो राज़ तेरे हिज्र ने पहुँचा दिया सब तक