aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".ayo"
पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीमआहिस्ता आइओ तू हमारे मज़ार पर
हम सहरा वाले हैं बदरा ये प्रेम की रिम-झिम और कहींआना है यहाँ तो आईयो तू जम कर झम-झम करने के लिए
दामन बचा के आइयो मेरे मज़ार तकऐ जान-ए-नौ-बहार उगे हैं इधर बबूल
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद सेयाद मैं ख़ुद को उम्र भर आया
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्तसब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती हैआज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगामेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आयाकि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी
क़रार दिल को सदा जिस के नाम से आयावो आया भी तो किसी और काम से आया
दी शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन ने अज़ाँ पिछली रातहाए कम-बख़्त को किस वक़्त ख़ुदा याद आया
अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आयाहज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्नआया मिरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरामैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न थाइस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आयाज़िंदगी छोड़ दे पीछा मिरा मैं बाज़ आया
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