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शेर
मुझ में और शम्अ' में होती थी ये बातें शब-ए-हिज्र
आज की रात बचेंगे तो तो सहर देखें गे
हैदर अली आतिश
शेर
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं