aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".iyis"
हमारी मुस्कुराहट पर न जानादिया तो क़ब्र पर भी जल रहा है
अंजाम को पहुँचूँगा मैं अंजाम से पहलेख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और
वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा थापानी पानी कहते कहते डूब गया है
अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'बाहर खुलने वाली खिड़की बंद पड़ी है
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लेंकुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और
आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान करदेते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर
हैरत से जो यूँ मेरी तरफ़ देख रहे होलगता है कभी तुम ने समुंदर नहीं देखा
क्यूँ खुल गए लोगों पे मिरी ज़ात के असरारऐ काश कि होती मिरी गहराई ज़रा और
था इंतिज़ार मनाएँगे मिल के दीवालीन तुम ही लौट के आए न वक़्त-ए-शाम हुआ
अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से सँभाले न गएये वो बच्चे हैं जो माँ बाप से पाले न गए
मुमकिन है कि सदियों भी नज़र आए न सूरजइस बार अंधेरा मिरे अंदर से उठा है
'अनीस' आसाँ नहीं आबाद करना घर मोहब्बत काये उन का काम है जो ज़िंदगी बर्बाद करते हैं
तमाम उम्र जो की हम से बे-रुख़ी सब नेकफ़न में हम भी अज़ीज़ों से मुँह छुपा के चले
जो दिल बाँधे वो जादू जानता हैमिरा महबूब उर्दू जानता है
आख़िर को रूह तोड़ ही देगी हिसार-ए-जिस्मकब तक असीर ख़ुशबू रहेगी गुलाब में
'अनीस' दम का भरोसा नहीं ठहर जाओचराग़ ले के कहाँ सामने हवा के चले
अजब अंदाज़ से ये घर गिरा हैमिरा मलबा मिरे ऊपर गिरा है
तमाम उम्र इसी एहतियात में गुज़रीकि आशियाँ किसी शाख़-ए-चमन पे बार न हो
ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा थादिया जलाया भी मैं ने दिया बुझाया भी
गूँजता है बदन में सन्नाटाकोई ख़ाली मकान हो जैसे
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