aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".thm"
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दियावर्ना हम भी आदमी थे काम के
न जी भर के देखा न कुछ बात कीबड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँअब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ताएक ही शख़्स था जहान में क्या
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूमकि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी होतुम को देखें कि तुम से बात करें
किस लिए देखती हो आईनातुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगाआसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहताकि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगेअभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैरजिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगेतुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करोतुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सामुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है
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