aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aamil"
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
ख़ुदा का मतलब है ख़ुद में आ तू ख़ुद-आगही है ख़ुदा-शनासीख़ुदा को ख़ुद से जुदा समझ कर भटक रहा है इधर उधर क्यूँ
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सामुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीदजो नहीं जानते वफ़ा क्या है
न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम सेमोहब्बत जिस से हो बस वो हसीं है
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैंनाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुनफिर इस के ब'अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीदमगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
तेरे आने की क्या उमीद मगरकैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं
मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगाइसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देतेसवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँइक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझहम अपने शहर में होते तो घर गए होते
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसरदिन गिने जाते थे इस दिन के लिए
मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख करउस ने दीवारों को अपनी और ऊँचा कर दिया
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहींअब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहींज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
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