aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "andhe"
उस ज़ुल्फ़ पे फबती शब-ए-दीजूर की सूझीअंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी
अंधे अदम वजूद के गिर्दाब से निकलये ज़िंदगी भी ख़्वाब है तू ख़्वाब से निकल
इंसान को दिल मिला मगर क्याअंधे के हाथ में दिया है
ख़ाक में दिल को मिलाते हो ग़ज़ब करते होअंधे आईने में क्या देखोगे सूरत अपनी
तुम उन के हात पे सिक्के नहीं दिए रक्खोये अंधे लोग हैं और रौशनी के भूके हैं
इस छेड़ में बनते हैं होश्यार भी दीवानेलहराया जहाँ शो'ला अंधे हुए परवाने
राह तकते जिस्म की मज्लिस में सदियाँ हो गईंझाँक कर अंधे कुएँ में अब तो कोई बोल दे
रफ़्ता रफ़्ता ज़ेहन के सब क़ुमक़ुमे बुझ जाएँगेऔर इक अंधे नगर का रास्ता रह जाएगा
रात में तीर अंधे चलाने लगेऔर निशाने पे उन के निशाने लगे
अंधे मोड़ को जो भी काटे आहिस्ता गुज़रेसाइकिलें टकरा जाती हैं अक्सर मोटर से
अजीब उजरत मोहब्बतों की वो दे गया हैकिया है अंधे हुजूम पर आश्कार मुझ को
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगीसुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हमआँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
जानता है कि वो न आएँगेफिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवाहसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया
साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त काउम्मीद बाँधिए न बड़े आदमी के साथ
हम उसे याद बहुत आएँगेजब उसे भी कोई ठुकराएगा
वतन के जाँ-निसार हैं वतन के काम आएँगेहम इस ज़मीं को एक रोज़ आसमाँ बनाएँगे
मिरी आह का तुम असर देख लेनावो आएँगे थामे जिगर देख लेना
शाख़ें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आएँगेये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएँगे
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