aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "baa-adab"
मिरी ख़ाक भी उड़ेगी बा-अदब तिरी गली मेंतिरे आस्ताँ से ऊँचा न मिरा ग़ुबार होगा
अब इस से पहले कि रुस्वाई अपने घर आतीतुम्हारे शहर से हम बा-अदब निकल आए
वो तेरी नींद थी जो बे-ख़बर रही शब भरवो मेरे ख़्वाब थे जो बा-अदब निकल आए
हम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्याआन बैठे जो तुम ने प्यार किया
इक ज़माने तक बदन बे-ख़्वाब बे-आदाब थेफिर अचानक अपनी उर्यानी का अंदाज़ा हुआ
कुछ बे-अदबी और शब-ए-वस्ल नहीं कीहाँ यार के रुख़्सार पे रुख़्सार तो रक्खा
रिंद-ए-ख़राब-नोश की बे-अदबी तो देखिएनिय्यत-ए-मय-कशी न की हाथ में जाम ले लिया
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दीबड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ
'अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथकिसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे
बुरा न मान 'ज़िया' उस की साफ़-गोई काजो दर्द-मंद भी है और बे-अदब भी नहीं
वो कैसी आस थी अदा जो कू-ब-कू लिए फिरीवो कुछ तो था जो दिल को आज तक कभू मिला नहीं
भरी महफ़िल में उन को छेड़ने की क्या ज़रूरत थीजनाब-ए-नूह तुम सा भी न कोई बे-अदब होगा
बाज़ औक़ात किसी और के मिलने से 'अदम'अपनी हस्ती से मुलाक़ात भी हो जाती है
जिस से छुपना चाहता हूँ मैं 'अदम'वो सितमगर जा-ब-जा मौजूद है
जल्वा बे-बाक अदा शोख़ तमाशा गुस्ताख़उठ गए बज़्म से आदाब-ए-नज़र मेरे बाद
ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारकमगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे
मुँह न दिखलावे न दिखला पर ब-अंदाज़-ए-इताबखोल कर पर्दा ज़रा आँखें ही दिखला दे मुझे
एक आदत सी बन गई है तूऔर आदत कभी नहीं जाती
अजब तरह की है दुनिया ब-रंग-ए-बू-क़लमूँकि है हर एक जुदागाना अल-अमाँ तन्हा
बस एक बार मनाया था जश्न-ए-महरूमीफिर उस के बाद कोई इब्तिला नहीं आई
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