aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-sabab"
बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है
आज तो बे-सबब उदास है जीइश्क़ होता तो कोई बात भी थी
ये आँसू बे-सबब जारी नहीं हैमुझे रोने की बीमारी नहीं है
एक बच्चा सा बे-सबब 'जाज़िल'बैठा रहता है रूठ कर मुझ में
बे-सबब ख़ामुशी नहीं ओढ़ीतेरी आँखों का हुक्म माना है
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या हैहम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
बे-सबब 'राग़िब' तड़प उठता है दिलदिल को समझाना पड़ेगा ठीक से
बे-सबब आज आँख पुर-नम हैजाने किस बात का मुझे ग़म है
कभी कभी तो जुदा बे-सबब भी होते हैंसदा ज़माने की तक़्सीर थोड़ी होती है
निगाहों के मनाज़िर बे-सबब धुंधले नहीं पड़तेहमारी आँख में दरिया कोई ठहरा हुआ होगा
हम से वो बे-सबब उलझती हैटुक तो समझाओ ज़ुल्फ़-ए-अबतर को
कमर ख़मीदा नहीं बे-सबब ज़ईफ़ी मेंज़मीन ढूँडते हैं वो मज़ार के क़ाबिल
बे-सबब कुछ भी नहीं होता है या यूँ कहिएआग लगती है कहीं पर तो धुआँ होता है
बे-सबब जम'अ तो करता नहीं तीर ओ तरकशकुछ हदफ़ होगा ज़माने की सितमगारी का
शौक़-ए-सफ़र बे-सबब और सफ़र बे-तलबउस की तरफ़ चल दिए जिस ने पुकारा न था
बे-सबब दोनों में हर एक को दिलचस्पी थीऔर हर एक से बेज़ार थे हम भी तुम भी
किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ 'वाहिद'उन्हीं के नाम हैं दुनिया में जिन के काम अच्छे हैं
ज़ब्त-ए-ग़म बे-सबब नहीं 'जज़्बी'ख़लिश-ए-दिल बढ़ा रहा हूँ मैं
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