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शेर
बुराई या भलाई गो है अपने वास्ते लेकिन
किसी को क्यूँ कहें हम बद कि बद-गोई से क्या हासिल
बहादुर शाह ज़फ़र
शेर
तुम्हारे वस्ल का जिस दिन कोई इम्कान होता है
मैं उस दिन रोज़ा रखता हूँ बुराई छोड़ देता हूँ
अहमद कमाल परवाज़ी
शेर
भलाई ये कि आज़ादी से उल्फ़त तुम भी रखते हो
बुराई ये कि आज़ादी से उल्फ़त हम भी रखते हैं
जोश मलसियानी
शेर
आतिश बहावलपुरी
शेर
वो कह रहा था बुराई बुराई जन्ती है
सो उस के वास्ते ले कर कँवल गया हूँ मैं