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शेर
दर्द-ए-दिल के वास्ते पैदा किया इंसान को
वर्ना ताअत के लिए कुछ कम न थे कर्र-ओ-बयाँ
ख़्वाजा मीर दर्द
शेर
सैर-ए-बहार-ए-बाग़ से हम को मुआ'फ़ कीजिए
उस के ख़याल-ए-ज़ुल्फ़ से 'दर्द' किसे फ़राग़ है
ख़्वाजा मीर दर्द
शेर
दीदा ओ दिल ने दर्द की अपने बात भी की तो किस से की
वो तो दर्द का बानी ठहरा वो क्या दर्द बटाएगा
इब्न-ए-इंशा
शेर
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता
तुम अच्छा कर नहीं सकते मैं अच्छा हो नहीं सकता
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
हम को भी क्या क्या मज़े की दास्तानें याद थीं
लेकिन अब तमहीद-ए-ज़िक्र-ए-दर्द-ओ-मातम हो गईं
मिर्ज़ा हादी रुस्वा
शेर
रोया तमाम उम्र वो शबनम के साथ साथ
फिर क्यों कहूँ कि दर्द-ए-गुल-ए-तर में कुछ न था
क़मर रईस बहराइची
शेर
चंद बातें वो जो हम रिंदों में थीं ज़र्बुल-मसल
अब सुना मिर्ज़ा कि दर्द-ए-अहल-ए-इरफ़ाँ हो गईं