आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ek naai aur rangsaz ka qissa athar parvez ebooks"
शेर के संबंधित परिणाम "ek naai aur rangsaz ka qissa athar parvez ebooks"
शेर
इज़हार-ए-इश्क़ उस से न करना था 'शेफ़्ता'
ये क्या किया कि दोस्त को दुश्मन बना दिया
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
शेर
हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया
क्या किया मैं ने कि इज़हार-ए-तमन्ना कर दिया
हसरत मोहानी
शेर
किसी ना-ख़्वांदा बूढ़े की तरह ख़त उस का पढ़ता हूँ
कि सौ सौ बार इक इक लफ़्ज़ से उँगली गुज़रती है
अतहर नफ़ीस
शेर
किसी के संग-ए-दर से एक मुद्दत सर नहीं उट्ठा
मोहब्बत में अदा की हैं नमाज़ें बे-वुज़ू बरसों
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
अगर लोहे के गुम्बद में रखेंगे अक़रबा उन को
वहीं पहुँचाएगा आशिक़ किसी तदबीर से काग़ज़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
किस तरह हुस्न-ए-ज़बाँ की हो तरक़्क़ी 'वहशत'
मैं अगर ख़िदमत-ए-उर्दू-ए-मुअ'ल्ला न करूँ
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
शेर
अजमल सिद्दीक़ी
शेर
तुम ही न सुन सके अगर क़िस्सा-ए-ग़म सुनेगा कौन
किस की ज़बाँ खुलेगी फिर हम न अगर सुना सके
हफ़ीज़ जालंधरी
शेर
न मेरी बात को पूछे है न देखे है इधर
एक दिन ये न किया आशिक़-ए-बीमार कि तू
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शेर
न रो इतना पराए वास्ते ऐ दीदा-ए-गिर्यां
किसी का कुछ नहीं जाता तिरी बीनाई जाती है