आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ga.d"
शेर के संबंधित परिणाम "ga.d"
शेर
परसों मैं बाज़ार गया था दर्पन लेने की ख़ातिर
क्या बोलूँ दूकान पे ही मैं शर्म के मारे गड़ बैठा
नवीन सी. चतुर्वेदी
शेर
अरमाँ के ताबूत में जब मैं वक़्त की कीलें गाड़ चुकूँगा
फिर जब भी तुम याद आओगे बह जाओगे अश्कों में
वहीद अर्शी
शेर
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा