aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gajraa"
लिपट जाते हैं वो बिजली के डर सेइलाही ये घटा दो दिन तो बरसे
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानीझूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगेमर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे
मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैंफिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं
मिट्टी पे नुमूदार हैं पानी के ज़ख़ीरेइन में कोई औरत से ज़ियादा नहीं गहरा
उन झील सी गहरी आँखों मेंइक लहर सी हर दम रहती है
ख़ामोश ज़िंदगी जो बसर कर रहे हैं हमगहरे समुंदरों में सफ़र कर रहे हैं हम
हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोचडूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा
इतने मायूस तो हालात नहींलोग किस वास्ते घबराए हैं
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना हैदर्द दिल का लिबास होता है
देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तोआस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो
ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँउसे ढूँडें कि उस को भूल जाएँ
अच्छी क़िस्मत अच्छा मौसम अच्छे लोगफिर भी दिल घबरा जाता है बाज़ औक़ात
लोग देते रहे क्या क्या न दिलासे मुझ कोज़ख़्म गहरा ही सही ज़ख़्म है भर जाएगा
वक़्त के साथ बदलना तो बहुत आसाँ थामुझ से हर वक़्त मुख़ातिब रही ग़ैरत मेरी
तुम से हासिल हुआ इक गहरे समुंदर का सुकूतऔर हर मौज से लड़ना भी तुम्ही से सीखा
ये राह-ए-इश्क़ है आख़िर कोई मज़ाक़ नहींसऊबतों से जो घबरा गए हों घर जाएँ
क्यूँ खुल गए लोगों पे मिरी ज़ात के असरारऐ काश कि होती मिरी गहराई ज़रा और
बात से बात की गहराई चली जाती हैझूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है
शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रहीउस ने जो फेर ली नज़र मैं ने भी जाम रख दिया
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