aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ijtinaab"
तिरी तलाश है या तुझ से इज्तिनाब है येकि रोज़ एक नए रास्ते पे चलते हैं
सारी दुनिया से इज्तिनाब करोएक ही शख़्स इंतिख़ाब करो
क्या जाने क्या लिखा था उसे इज़्तिराब मेंक़ासिद की लाश आई है ख़त के जवाब में
रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब हैक्या चीज़ उफ़ ये कैफ़ियत-ए-इज़्तिराब है
अफ़्सुर्दगी भी हुस्न है ताबिंदगी भी हुस्नहम को ख़िज़ाँ ने तुम को सँवारा बहार ने
मोहब्बत एक तरफ़ से मज़ा नहीं देतीकुछ इज़्तिराब तुझे हो कुछ इज़्तिराब मुझे
क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज़्तिराब मेंउन की तरफ़ से आप लिखे ख़त जवाब में
ज़बाँ से दिल का फ़साना अदा किया न गयाये तर्जुमाँ तो बनी थी मगर बना न गया
हज़ार आरज़ू हो तुम यक़ीं हो तुम गुमाँ हो तुमक़फ़स-नसीब रूह की उमीद-ए-आशियाँ हो तुम
हिज्र में कैफ़-ए-इज़्तिराब न पूछख़ून-ए-दिल भी शराब होना था
देखे बग़ैर हाल ये है इज़्तिराब काक्या जाने क्या हो पर्दा जो उट्ठे नक़ाब का
में इज़्तिराब के आलम में रक़्स करता रहाकभी ग़ुबार की सूरत कभी धुआँ बन कर
आख़िर तड़प तड़प के ये ख़ामोश हो गयादिल को सुकून मिल ही गया इज़्तिराब में
मैं तंग हूँ सुकून से अब इज़्तिराब देबे-इंतिहा सुकून भी आज़ार ही तो है
मेरे होने में मिरा अपना नहीं था कुछ शरीकमेरी हस्ती सिर्फ़ तेरे ए'तिना की बात थी
मिरी तरह से कोई है जो ज़िंदगी अपनीतुम्हारी याद के नाम इंतिसाब कर देगा
याँ लब पे लाख लाख सुख़न इज़्तिराब मेंवाँ एक ख़ामुशी तिरी सब के जवाब में
उतारा दिल के वरक़ पर तो कितना पछतायावो इंतिसाब जो पहले बस इक किताब पे था
बहुत अज़ीज़ न क्यूँ हो कि दर्द है तेराये दर्द बढ़ के रहा इज़्तिराब हो के रहा
जुदाइयों की ख़लिश उस ने भी न ज़ाहिर कीछुपाए अपने ग़म ओ इज़्तिराब मैं ने भी
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