aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jhel"
कुछ लोग हैं जो झेल रहे हैं मुसीबतेंकुछ लोग हैं जो वक़्त से पहले बदल गए
मैं ने हँसने की अज़िय्यत झेल ली रोया नहींये सलीक़ा भी कोई आसान जीने का न था
ज़ख़्म झेले दाग़ भी खाए बहुतदिल लगा कर हम तो पछताए बहुत
उन झील सी गहरी आँखों मेंइक लहर सी हर दम रहती है
चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबाचुराईं सब ने ही कुछ कुछ शबाहतें तेरी
मिरी ख़ामोशियों की झील में फिरकिसी आवाज़ का पत्थर गिरा है
गहरी ख़मोश झील के पानी को यूँ न छेड़छींटे उड़े तो तेरी क़बा पर भी आएँगे
सूख गई जब आँखों में प्यार की नीली झील 'क़तील'तेरे दर्द का ज़र्द समुंदर काहे शोर मचाएगा
जब डूब के मरना है तो क्या सोच रहे होइन झील सी आँखों में उतर क्यूँ नहीं जाते
पुर-सुकूँ लगती है कितनी झील के पानी पे बतपैरों की बे-ताबियाँ पानी के अंदर देखिए
मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँसो अब के झील में इक दाएरा बनाना है
किसी के साथ न होने के दुख भी झेले हैंकिसी के साथ मगर और भी अकेले हैं
अजल भी टल गई देखी गई हालत न आँखों सेशब-ए-ग़म में मुसीबत सी मुसीबत हम ने झेली है
अभी तो मैं ने फ़क़त बारिशों को झेला हैअब इस के ब'अद समुंदर भी देखना है मुझे
यहीं कहीं तो चमकती थी इक तिलिस्मी झीलयहीं कहीं तो मैं डूबा था अपने ख़्वाब के साथ
परिंदे झील पर इक रब्त-ए-रूहानी में आए हैंकिसी बिछड़े हुए मौसम की हैरानी में आए हैं
अज़ाब-ए-बर्क़-ओ-बाराँ था अँधेरी रात थीरवाँ थीं कश्तियाँ किस शान से इस झील में
वो गुलाबी बादलों में एक नीली झील सीहोश क़ाएम कैसे रहते था ही कुछ ऐसा लिबास
वो फूल हो सितारा हो शबनम हो झील होतेरी किताब-ए-हुस्न के सब इक़्तिबास थे
वो लाला-बदन झील में उतरा नहीं वर्नाशो'ले मुतवातिर इसी पानी से निकलते
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