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शेर
वो दर्द उठा दिल में कि जिस दर्द का दरमाँ
गर हो न पस-ए-लफ़्ज़ तो मिलता है सर-ए-दार
शहनवाज़ फ़ारूक़ी
शेर
रखता है क़दम नाज़ से जिस दम तू ज़मीं पर
कहते हैं फ़रिश्ते तुझे जय अर्श-ए-बरीं पर
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
किस को उस का ग़म हो जिस दम ग़म से वो ज़ारी करे
हाँ मगर तेरा ही ग़म आशिक़ की ग़म-ख़्वारी करे
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शेर
दर-हक़ीक़त इत्तिसाल-ए-जिस्म-ओ-जाँ है ज़िंदगी
ये हक़ीक़त है कि अर्बाब-ए-हिमम के वास्ते
आतिश बहावलपुरी
शेर
इक दर्द-ए-मोहब्बत है कि जाता नहीं वर्ना
जिस दर्द की ढूँडे कोई दुनिया में दवा है
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
यूँ लगता है सारी दुनिया बंद है मेरी मुट्ठी में
जिस दम मेरी उंगली पकड़े मेरा बेटा चलता है
अज़ीज़ नबील
शेर
छुप सका दम भर न राज़-ए-दिल फ़िराक़-ए-यार में
वो निहाँ जिस दम हुआ सब आश्कारा हो गया