aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kahne"
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम परहँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने मेंजो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँउन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गईआओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ कोये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा देये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
सब कुछ हम उन से कह गए लेकिन ये इत्तिफ़ाक़कहने की थी जो बात वही दिल में रह गई
कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरीलब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी
कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई हैबात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है
कहने को तो मैं भूल गया हूँ मगर ऐ यारहै ख़ाना-ए-दिल में तिरी तस्वीर अभी तक
देखने आए थे वो अपनी मोहब्बत का असरकहने को ये है कि आए हैं अयादत कर के
दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हमकहने में उन के सामने बात बदल बदल गई
कहने के लिए हम भी ज़बाँ रखते हैं लेकिनये ज़र्फ़ हमारा है कि हम कुछ नहीं कहते
कहते तो हो यूँ कहते यूँ कहते जो वो आताये कहने की बातें हैं कुछ भी न कहा जाता
इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैंकहने को तो दुनिया में मय-ख़ाने हज़ारों हैं
बात चाहे बे-सलीक़ा हो 'कलीम'बात कहने का सलीक़ा चाहिए
कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़नज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है
कौन किसी का ग़म खाता हैकहने को ग़म-ख़्वार है दुनिया
हम भी कहने लगे हैं रात को रातहम भी गोया ख़राब होने लगे
वक़्त-ए-रुख़्सत अलविदा'अ का लफ़्ज़ कहने के लिएवो तिरे सूखे लबों का थरथराना याद है
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