आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kesh-e-barahman"
शेर के संबंधित परिणाम "kesh-e-barahman"
शेर
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
न काबा ही तजल्ली-गाह ठहराया न बुत-ख़ाना
लड़ाना ख़ूब आता है तुम्हें शैख़ ओ बरहमन को
मिर्ज़ा मायल देहलवी
शेर
अज़ाँ का काम चल जाए जो नाक़ूस-ए-बरहमन से
बड़ा ये बोझ उतरे ऐ मोअज़्ज़िन तेरी गर्दन से
रियाज़ ख़ैराबादी
शेर
मेरी सज-धज तो कोई इश्क़-ए-बुताँ में देखे
साथ क़श्क़े के है ज़ुन्नार-ए-बरहमन कैसा
रियाज़ ख़ैराबादी
शेर
गले में अपने पहना है जो तू ने ऐ बुत-ए-काफ़िर
मिरी तस्बीह को है रश्क ज़ुन्नार-ए-बरहमन पर
मीर कल्लू अर्श
शेर
मुबारक दैर-ओ-का'बा हों 'क़लक़' शैख़-ओ-बरहमन को
बिछाएँगे मुसल्ला चल के हम मेहराब-ए-अबरू में
असद अली ख़ान क़लक़
शेर
पहन लो ऐ बुतो ज़ुन्नार-ए-तस्बीह-ए-सुलैमानी
रखो राज़ी इसी पर्दे में हर शैख़-ओ-बरहमन को
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर
शेर
अगर मज़हब ख़लल-अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद में
तो शैख़ ओ बरहमन पिन्हाँ रहें दैर ओ मसाजिद में
अकबर इलाहाबादी
शेर
हैं शैख़ ओ बरहमन तस्बीह और ज़ुन्नार के बंदे
तकल्लुफ़ बरतरफ़ आशिक़ हैं अपने यार के बंदे