aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "khule"
ये उड़ी उड़ी सी रंगत ये खुले खुले से गेसूतिरी सुब्ह कह रही है तिरी रात का फ़साना
रास्ते हैं खुले हुए सारेफिर भी ये ज़िंदगी रुकी हुई है
ये खुले खुले से गेसू इन्हें लाख तू सँवारेमिरे हाथ से सँवरते तो कुछ और बात होती
हम किसी को गवाह क्या करतेइस खुले आसमान के आगे
ज़रा क़रीब से देखूँ तो कोई राज़ खुलेयहाँ तो हर कोई लगता है आदमी जैसा
अना अना के मुक़ाबिल है राह कैसे खुलेतअल्लुक़ात में हाइल है बात की दीवार
चमक रहा है ख़ेमा-ए-रौशन दूर सितारे सादिल की कश्ती तैर रही है खुले समुंदर में
शुक्र है बाँध लिया अपने खुले बालों कोउस ने शीराज़ा-ए-आलम को बिखरने न दिया
ये खुला जिस्म खुले बाल ये हल्के मल्बूसतुम नई सुब्ह का आग़ाज़ करोगे शायद
मैं किताब-ए-ख़ाक खोलूँ तो खुलेक्या नहीं मौजूद क्या मौजूद है
तुम ने छेड़ा तो कुछ खुले हम भीबात पर बात याद आती है
मिरे बदन में खुले जंगलों की मिट्टी हैमुझे सँभाल के रखना बिखर न जाऊँ में
'ज़फ़र' है बेहतरी इस में कि मैं ख़मोश रहूँखुले ज़बान तो इज़्ज़त किसी की क्या रह जाए
न जाने उस ने खुले आसमाँ में क्या देखापरिंदा फिर से जहान-ए-क़फ़स में लौट आया
इलाही क्या खुले दीदार की राहउधर दरवाज़े बंद आँखें इधर बंद
सभी दरवाज़े खुले हैं मिरी तन्हाई केसारी दुनिया को मयस्सर है रिफ़ाक़त मेरी
शीशे खुले नहीं अभी साग़र चले नहींउड़ने लगी परी की तरह बू शराब की
आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-इश्क़-ए-बुताँ से हमसब कुछ कहा मगर न खुले राज़-दाँ से हम
की है उस्ताद-ए-अज़ल ने ये रुबाई मौज़ूँचार उंसुर से खुले मअनी-ए-पिन्हाँ हम को
खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशामिरे हाथों में दस्तक भर गई है
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