aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "machaa.e.n"
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठेंदिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाएँजिस ने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक
जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठीजब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
शाम आए और घर के लिए दिल मचल उठेशाम आए और दिल के लिए कोई घर न हो
मुझ में सात समुंदर शोर मचाते हैंएक ख़याल ने दहशत फैला रक्खी है
फूल खिले हैं लिखा हुआ है तोड़ो मतऔर मचल कर जी कहता है छोड़ो मत
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचलनशा शराब में होता तो नाचती बोतल
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँदिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिनआदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है
अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैकिसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे
मुझे ग़रज़ है मिरी जान ग़ुल मचाने सेन तेरे आने से मतलब न तेरे जाने से
ख़ामोश मिज़ाजी तुम्हे जीने नहीं देगीइस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो
कहीं कहीं से कुछ मिसरे एक-आध ग़ज़ल कुछ शेरइस पूँजी पर कितना शोर मचा सकता था मैं
देखना हश्र में जब तुम पे मचल जाऊँगामैं भी क्या वादा तुम्हारा हूँ कि टल जाऊँगा
ख़तरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिनसैलाब किनारों पे मचलने तो लगे हैं
अजीब शोर मचाने लगे हैं सन्नाटेये किस तरह की ख़मोशी हर इक सदा में है
बराबर ख़फ़ा हों बराबर मनाएँन तुम बाज़ आओ न हम बाज़ आएँ
अभी कमसिन हैं ज़िदें भी हैं निराली उन कीइस पे मचले हैं कि हम दर्द-ए-जिगर देखेंगे
उठो कि जश्न-ए-ख़िज़ाँ हम मनाएँ जी भर केबहार आए गुलिस्ताँ में कब ख़ुदा जाने
मुसलसल जागने के बाद ख़्वाहिश रूठ जाती हैचलन सीखा है बच्चे की तरह उस ने मचलने का
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