आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maqalat e hali part 001 ebooks"
शेर के संबंधित परिणाम "maqalat e hali part 001 ebooks"
शेर
पारा-ए-दिल है वतन की सरज़मीं मुश्किल ये है
शहर को वीरान या इस दिल को वीराना कहें
मजरूह सुल्तानपुरी
शेर
धारे से कभी कश्ती न हटी और सीधी घाट पर आ पहुँची
सब बहते हुए दरियाओं के क्या दो ही किनारे होते हैं
आरज़ू लखनवी
शेर
शबाब ढलते ही आई पीरी मआ'ल पर अब नज़र हुई है
बड़ी ही ग़फ़लत में शब गुज़ारी कहाँ पहुँच कर सहर हुई है
दिल शाहजहाँपुरी
शेर
दिल पर चोट पड़ी है तब तो आह लबों तक आई है
यूँ ही छन से बोल उठना तो शीशे का दस्तूर नहीं
अंदलीब शादानी
शेर
मिज़ाज-ए-हुस्न तो इक हाल पर रहा क़ाएम
लुटाने वालों ने सब कुछ लुटा के देख लिया
अबु मोहम्मद वासिल बहराईची
शेर
लोगों का एहसान है मुझ पर और तिरा मैं शुक्र-गुज़ार
तीर-ए-नज़र से तुम ने मारा लाश उठाई लोगों ने
बहादुर शाह ज़फ़र
शेर
क्यूँ इशारा है उफ़ुक़ पर आज किस की दीद है
अलविदा'अ माह-ए-रमज़ाँ वो हिलाल-ए-ईद है
निसार कुबरा अज़ीमाबादी
शेर
साहिल पर आ के लगती है टक्कर सफ़ीने को
हिज्राँ से वस्ल में है सिवा दिल की एहतियात
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
बस कि है पेश-ए-नज़र पस्त-ओ-बुलंद-ए-आलम
ठोकरें खा के मिरी आँखों में ख़्वाब आता है
मुनीर शिकोहाबादी
शेर
सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ामात-ए-दिल-फ़रेब
जो रुक गए यहाँ वो मक़ाम-ए-ख़तर में हैं