aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "masaavii"
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगामसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
जंग तो ख़ुद ही एक मसअला हैजंग क्या मसअलों का हल देगी
हक़ीक़ी और मजाज़ी शायरी में फ़र्क़ ये पायाकि वो जामे से बाहर है ये पाजामे से बाहर है
औरत के ख़ुदा दो हैं हक़ीक़ी ओ मजाज़ीपर उस के लिए कोई भी अच्छा नहीं होता
ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान 'ग़ालिब'तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता
तुझ को पाने में मसअला ये हैतुझ को खोने के वसवसे रहेंगे
सफ़र के साथ सफ़र के नए मसाइल थेघरों का ज़िक्र तो रस्ते में छूट जाता था
मसअला जब भी चराग़ों का उठाफ़ैसला सिर्फ़ हवा करती है
दिल का दुख जाना तो दिल का मसअला है पर हमेंउस का हँस देना हमारे हाल पर अच्छा लगा
हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज़ का अलमचुप बैठने से हल नहीं होने का मसअला
तुम आसमाँ की बुलंदी से जल्द लौट आनाहमें ज़मीं के मसाइल पे बात करनी है
मुझे मनाओ नहीं मेरा मसअला समझोख़फ़ा नहीं मैं परेशान हूँ ज़माने से
मज़हब की ख़राबी है न अख़्लाक़ की पस्तीदुनिया के मसाइब का सबब और ही कुछ है
मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिएबन गई है मसअला सारे ज़माने के लिए
मौत बर-हक़ है तो फिर मौत से डरना कैसाएक हिजरत ही तो है नक़्ल-ए-मकानी ही तो है
लग रहा है ये नर्म लहजे सेफिर तुझे कोई मसअला हुआ है
फ़ना ही का है बक़ा नाम दूसरा 'अंजुम'नफ़स की आमद-ओ-शुद मौत का तराना है
काश होता मज़ा कहानी मेंदिल मिरा बुझ गया जवानी में
आँखों तक आ सकी न कभी आँसुओं की लहरये क़ाफ़िला भी नक़्ल-ए-मकानी में खो गया
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