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शेर
ज़बान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती
किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
शेर
मिरे दहन में अगर आप की ज़बाँ होती
तो फिर कुछ और ही उन्वान-ए-दास्ताँ होता
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
शेर
लुत्फ़-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार
दिल ही उजड़ गया कि ज़माना उजड़ गया