aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nabol'"
फिर नए साल की सरहद पे खड़े हैं हम लोगराख हो जाएगा ये साल भी हैरत कैसी
सारे सपने बाँध रखे हैं गठरी मेंये गठरी भी औरों में बट जाएगी
वो एक राज़! जो मुद्दत से राज़ था ही नहींउस एक राज़ से पर्दा उठा दिया गया है
एक तख़्ती अम्न के पैग़ाम कीटाँग दीजे ऊँचे मीनारों के बीच
चुपके चुपके वो पढ़ रहा है मुझेधीरे धीरे बदल रहा हूँ मैं
किसी से ज़ेहन जो मिलता तो गुफ़्तुगू करतेहुजूम-ए-शहर में तन्हा थे हम, भटक रहे थे
मुसाफ़िरों से कहो अपनी प्यास बाँध रखेंसफ़र की रूह में सहरा कोई उतर चुका है
हम क़ाफ़िले से बिछड़े हुए हैं मगर 'नबील'इक रास्ता अलग से निकाले हुए तो हैं
'नबील' ऐसा करो तुम भी भूल जाओ उसेवो शख़्स अपनी हर इक बात से मुकर चुका है
गुज़र रहा हूँ किसी ख़्वाब के इलाक़े सेज़मीं समेटे हुए आसमाँ उठाए हुए
तमाम शहर को तारीकियों से शिकवा हैमगर चराग़ की बैअत से ख़ौफ़ आता है
चाँद तारे इक दिया और रात का कोमल बदनसुब्ह-दम बिखरे पड़े थे चार सू मेरी तरह
मैं किसी आँख से छलका हुआ आँसू हूँ 'नबील'मेरी ताईद ही क्या मेरी बग़ावत कैसी
'नबील' इस इश्क़ में तुम जीत भी जाओ तो क्या होगाये ऐसी जीत है पहलू में जिस के हार चलती है
मैं छुप रहा हूँ कि जाने किस दमउतार डाले लिबास मुझ को
न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती हैहमेशा मेरे आगे आगे इक दीवार चलती है
साँस लेता हुआ हर रंग नज़र आएगातुम किसी रोज़ मिरे रंग में आओ तो सही
रोज़ दस्तक सी कोई देता है सीने में 'नबील'रोज़ मुझ में किसी आवाज़ के पर खुलते हैं
मैं दस्तरस से तुम्हारी निकल भी सकता हूँये सोच लो कि मैं रस्ता बदल भी सकता हूँ
क़लम है हाथ में किरदार भी मिरे बस मेंअगर मैं चाहूँ कहानी बदल भी सकता हूँ
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