aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nashsha-e-iqtidaar"
जो फ़क़्र में सुरूर है शाही में वो कहाँहम भी रहे हैं नश्शा-ए-दौलत में चार दिन
अजब था नश्शा-ए-वारफ़तगी-ए-वस्ल उसेवो ताज़ा-दम रहा मुझ को निढाल कर के भी
नश्शा-ए-यार का नशा मत पूछऐसी मस्ती कहाँ शराबों में
मस्त हैं नश्शा-ए-जवानी सेक्या ख़बर आप को किसी दिल की
नश्शा-ए-रंग से है वाशुद-ए-गुलमस्त कब बंद-ए-क़बा बाँधते हैं
नश्शा-ए-हुस्न को इस तरह उतरते देखाऐब पर अपने कोई जैसे पशेमाँ हो जाए
नश्शा-ए-होश चढ़ा जाता है रफ़्ता रफ़्ताज़िंदगी फिर से हुई जाती है मुबहम मुबहम
ता-मर्ग मुझ से तर्क न होगी कभी नमाज़पर नश्शा-ए-शराब ने मजबूर कर दिया
नश्शा-ए-हुस्न में सरशार चला जाता हैशब-ए-तारीक है दिलदार ख़ुदा को सौंपा
बोसा-ए-ख़ाल-ए-लब-ए-जानाँ की कैफ़िय्यत न पूछनश्शा-ए-मय से ज़ियादा नश्शा-ए-अफ़्यूँ हुआ
आ गए दिल में वसवसे कितनेवक़्त जब ए'तिबार का आया
जानता है कि वो न आएँगेफिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल
वा'दे का ए'तिबार तो है वाक़ई मुझेये और बात है कि हँसी आ गई मुझे
बनने लगे हैं दाग़ सितारे ख़ुशा नसीबतारीक आसमान शब-ए-इंतिज़ार था
किस का सुराग़ जल्वा है हैरत को ऐ ख़ुदाआईना फ़र्श-ए-शश-जहत-ए-इंतिज़ार है
गो सरापा-ए-जब्र हैं फिर भीसाहिब-ए-इख़्तियार हैं हम लोग
दुनिया हमें फ़रेब पे देती रही फ़रेबहम देखते रहे निगह-ए-ए'तिबार से
कश्ती-ए-ए'तिबार तोड़ के देखकि ख़ुदा भी है ना-ख़ुदा ही नहीं
कोताह उम्र हो गई और ये न कम हुईऐ जान आ के तूल-ए-शब-ए-इंतिज़ार देख
इस फ़ैसले पे लुट गई दुनिया-ए-ए'तिबारसाबित हुआ गुनाह गुनहगार के बग़ैर
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books