aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "naved"
जुदा हुए तो जुदाई में ये कमाल भी थाकि उस से राब्ता टूटा भी था बहाल भी था
मेरा वजूद जज़्ब हुआ तेरे जिस्म मेंअब मुझ को अपने जिस्म के अंदर तलाश कर
अय्याम के ग़ुबार से निकला तो देर तकमैं रास्तों को धूल बना देखता रहा
रहती है शब-ओ-रोज़ में बारिश सी तिरी यादख़्वाबों में उतर जाती हैं घनघोर सी आँखें
कुछ इस तरह से कहा मुझ से बैठने के लिएकि जैसे बज़्म से उस ने उठा दिया है मुझे
तिरी जुदाई का मौसम भी ख़ूबसूरत हैमुझे निकाल रहा है ख़ुमार से बाहर
सहर की गूँज से आवाज़ा-ए-जमाल हुआसो जागता रहा अतराफ़ को जगाए हुए
मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-नाज़ुकएक तितली के संग उड़ाई थी
ख़ाली हुआ गिलास नशा सर में आ गयादरिया उतर गया तो समुंदर में आ गया
रात भर कोई न दरवाज़ा खुलादस्तकें देती रही पागल हवा
मुझे उस जुनूँ की है जुस्तुजू जो चमन को बख़्श दे रंग ओ बूजो नवेद-ए-फ़स्ल-ए-बहार हो मुझे उस नज़र की तलाश है
ख़्वाहिशों के पेड़ से गिरते हुए पत्ते न चुनज़िंदगी के सेहन में उम्मीद का पौदा लगा
दरवाज़े थे कुछ और भी दरवाज़े के पीछेबरसों पे गई बात महीनों से निकल कर
मैं अपने हिज्र में था मुब्तला अज़ल से मगरतिरे विसाल ने मुझ से मिला दिया है मुझे
चराग़-हा-ए-तकल्लुफ़ बुझा दिए गए हैंउठाओ जाम कि पर्दे उठा दिए गए हैं
ज़ख़्म-ए-तलाश में है निहाँ मरहम-ए-दलीलतू अपना दिल न हार मोहब्बत बहाल रख
आए हैं लोग रात की दहलीज़ फाँद करउन के लिए नवेद-ए-सहर होनी चाहिए
मैं ख़ुद को दूसरों से क्या जुदा करूँबहुत मिला-जुला दिया गया मुझे
ख़ुद से गुज़रे तो क़यामत से गुज़र जाएँगे हमयानी हर हाल की हालत से गुज़र जाएँगे हम
दिल पर तेरी चुप से लगने वाला दाग़ऐसा दाग़ है जिस को धो नहीं सकता मैं
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